132वें दशहरा मेले में बनेगा विश्व का सबसे ऊंचा रावण,
‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम में लहराएगा देशभक्ति का परचम!
रामलीला और रामकथा की भव्य वापसी,नवरात्रि में गरबे की धूम
डिजिटल डेक्स। इवनिंग न्यूज
कोटा। राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी कोटा में दशहरा मेला 2025 की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। श्रीराम रंगमंच पर शुक्रवार को विधिवत गणेश पूजन के साथ मेले की भव्य शुरुआत हुई। इस बार का मेला न सिर्फ परंपराओं को जीवंत करेगा, बल्कि देशभक्ति से ओतप्रोत “ऑपरेशन सिंदूर” थीम के तहत एक नया इतिहास रचने जा रहा है।
गणपति बप्पा के आशीर्वाद से हुआ शुभारंभ
कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी, नगर निगम आयुक्त अनुराग भार्गव और अन्य जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, प्रबुद्धजनों व आम नागरिकों की उपस्थिति में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर तैयारियों का श्रीगणेश किया गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम से देशभक्ति का जज़्बा
इस वर्ष दशहरा मेला पूरी तरह से भारतीय सेना के शौर्य और राष्ट्रभक्ति को समर्पित होगा। तिरंगे के रंगों से सजे प्रवेश द्वार, लाइटिंग और स्टॉल्स – हर कोना भारतमाता की जयकार से गूंजेगा। एक ऐसी झलक जो हर दर्शक के मन को रोमांचित कर देगी।
दुनिया का सबसे ऊंचा रावण बनेगा कोटा की पहचान
दशहरे के दिन कोटा बनेगा विश्व की निगाहों का केंद्र, जब 215 फीट ऊंचा रावण पुतला धधक उठेगा। अब तक का रिकॉर्ड अंबाला (210 फीट) और दिल्ली (211 फीट) के नाम था, जिसे तोड़ते हुए कोटा नया इतिहास लिखने जा रहा है।इस महाकाय रावण को खड़ा करने में 100 से ज्यादा कुशल कारीगर, विशेष हाइड्रोलिक क्रेन, और 100 फीट लंबा स्टील पेडेस्टल लगेगा।दो महीने की मेहनत, 10 लाख का बजट, और एक अद्भुत नजारा कोटा की जनता को मिलेगा गौरव का अनुभव।
रामलीला और रामकथा की भव्य वापसी
वर्षों बाद कोटा के दशहरा मेले में रामकथा और रामलीला का मंचन होगा। विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि यह आयोजन युवा पीढ़ी को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की परंपराओं और जीवन मूल्यों से जोड़ने का माध्यम बनेगा।
नवरात्रि में गरबे की धूम
पहली बार मेले के दौरान नवरात्र के 9 दिनों तक गरबा महोत्सव आयोजित किया जाएगा। पुलिस कंट्रोल रूम मैदान में होने वाले इस आयोजन में स्थानीय और बाहरी डांस ग्रुप्स भाग लेंगे, और रात्रि में रंगीन रोशनी और धुनों पर झूमता नजर आएगा कोटा।
व्यापारियों और आमजन के लिए राहत
मेला समिति ने स्पष्ट किया है कि इस बार दुकानों और झूलों का किराया नहीं बढ़ाया जाएगा, जिससे व्यापारी वर्ग और आमजन को राहत मिलेगी। यह फैसला मेले को जनभागीदारी और सौहार्द का पर्व बनाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।