आचार्य प्रज्ञासागर जी के सान्निध्य में 24 प्रतिमाधारियों का हुआ बहुमान
कोटा। प्रज्ञालोक तपोभूमि में जारी सुविख्यात जैनाचार्य, पर्यावरण संरक्षक और तपोभूमि प्रणेता आचार्य 108 श्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज के 37वें चातुर्मास के तहत रविवार को दशलक्षण महाव्रत पर्व से पूर्व प्रतिमाधारियों का भव्य सम्मान समारोह आयोजित हुआ। समारोह में गुरू आस्था परिवार द्वारा एक से सात व्रत प्रतिमाधारी श्रावकों को मंच पर बिठाकर श्रीफल, माला और सफेद वस्त्र भेंट किए गए।
चैयरमैन यतिश जैन खेड़ावाला ने बताया कि आचार्य प्रज्ञासागर जी की प्रेरणा से यह आयोजन किया गया। गुरूदेव ने स्वयं प्रतिमाधारियों को व्रत का संकल्प दिलाया और उन्हें अभिन्नदन पत्र सौंपा। अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली ने बताया कि अभिन्नदन पत्र में व्रतधारण करवाने वाले आचार्य व साध्वी का सचित्र नाम, आचार्य प्रज्ञासागर जी का चित्र और संबंधित प्रतिमा की संख्या का उल्लेख कर श्रद्धापूर्वक भेंट किया गया।
इस अवसर पर वीरेन्द्र जैन ने 6 व्रत से आगे बढ़कर 7 प्रतिमा धारण करने का संकल्प लिया, जबकि रामबाबू ने 2 व्रत ग्रहण कर आध्यात्मिक जीवन की ओर नया कदम बढ़ाया।इसअवसर पर नवकार सोशल ग्रुप कोटा के लगभग 50 दम्पति सदस्यों ने गुरु पूजन कर पुण्यार्जन किया।
24 प्रतिमाधारियों को मिला विशेष बहुमान
कोटा शहर की 24 प्रतिमाधारियों को गुरु आस्था परिवार की ओर से बहुमान स्वरूप माला, श्रीफल और सफेद वस्त्र भेंट किए गए। समारोह में 24 प्रतिमाधारियों का बहुमान, परम संरक्षक विमल जैन नांता, अध्यक्ष प्रकाश बज, गुरु आस्था परिवार अध्यक्ष लोकेश जैन, चेयरमैन यतिश जैन खेड़ावाला, महामंत्री नवीन जैन दौराया,कोषाध्यक्ष अजय जैन खटकीड़ा, गुलाबचंद लुहाड़िया, चेतन सर्राफ, नरेश वेद, मिलापचंद जैन, रमेशचंद दौराया, सौरव रावत, पवन ठग, अर्पित सर्राफ, विनय शाह, आर.के. जैन सहित अनेक गणमान्य ने किया।
गुरूदेव का वैराग्य और मोक्षमार्ग पर संदेश
अपने प्रवचन में आचार्य प्रज्ञासागर जी महाराज ने जीवन में वैराग्य और मोक्षमार्ग के महत्व को समझाते हुए कहा कि “जैसे एक चना भुनने से बचकर छिटक जाता है तो पिसने से भी बच जाता है, वैसे ही जब मनुष्य संसार से वैराग्य की ओर अग्रसर होता है तो उसका मन भोग-विलास से हटकर ईश्वर भक्ति में लग जाता है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “यदि आप सब्जी मंडी में जाकर सोने के आभूषण मांगेंगे तो यह असंभव है। उसी प्रकार संसार में सुख खोजने वाला व्यक्ति गलत स्थान पर सही वस्तु पाने का प्रयास करता है। मोक्ष का असली सोना केवल भगवान और गुरुदेव के पास ही मिलता है।उन्होंने कहा कि प्रज्ञालोक ही मोक्ष पथ देने वाला “सर्राफ बाजार” है, जहां 105 और 108 हॉलमार्क के साथ मोक्ष पथ सोना देने की गारंटी मिलती है।