अंतिम छोर तक पहुंचेगा पानी”: ईआरसीपी परियोजना पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दिए निर्देश
कोटा (राजस्थान) | अपडेटेड: 19 मई, 2025, 08:30 PM IST
- पीकेसी-ईआरसीपी परियोजना से राजस्थान के 16 जिलों को मिलेगा पानी
- कोटा बैराज की नहरों को पक्का करने पर खर्च होंगे ₹2300 करोड़
- परियोजना से 2.21 लाख हेक्टेयर नई भूमि पर होगी सिंचाई
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को कोटा में एकीकृत पीकेसी-ईआरसीपी (राम जल सेतु लिंक परियोजना) की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को तेजी से काम करने के निर्देश दिए। बिरला ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि “अंतिम छोर तक किसान के खेत तक पानी पहुंचे”। केडीए सभागार में आयोजित बैठक में बिरला ने कहा, “यह परियोजना न केवल हाड़ौती संभाग बल्कि राज्य के कई जिलों के लिए जीवनदायिनी सिद्ध होगी।” उन्होंने बताया कि कोटा बैराज की दाईं और बाईं मुख्य नहरों तथा माइनरों को पक्का करने पर ₹2300 करोड़ खर्च होंगे।समीक्षा बैठक में ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, संभागीय आयुक्त राजेन्द्र सिंह शेखावत सहित कोटा-बूंदी क्षेत्र के अनेक जन प्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित थे।
वंचित क्षेत्रों को मिलेगा लाभ

बिरला ने विशेष रूप से सांगोद, लाडपुरा, करवर और रामगंजमंडी जैसे क्षेत्रों का उल्लेख किया जो अब तक सिंचाई से वंचित थे। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों को भी परियोजना में शामिल किया गया है।”पेयजल से वंचित गांवों को परियोजना से जोड़कर वहां तक पानी पहुंचाया जाना चाहिए और सभी कार्य समयसीमा में पूरे होने चाहिए,” बिरला ने अधिकारियों को निर्देश दिए।
16 जिलों को मिलेगा लाभ
ईआरसीपी कॉर्पोरेशन के मुख्य अभियंता रवि सोलंकी ने बताया कि संशोधित पीकेसी लिंक योजना से राजस्थान के 16 जिलों को लाभ मिलेगा। इनमें जयपुर, कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, सवाई माधोपुर, टोंक, अजमेर, अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर और दौसा शामिल हैं।
प्रस्तावित निर्माण
परियोजना के अंतर्गत किए जाने वाले प्रमुख निर्माण कार्य:
- नदियों पर बैराज: कूल, पार्वती, कालीसिंध, मेज और बनास नदियों पर रामगढ़, महलपुर, नवनेरा, मेज और नीमोद राठौड़ बैराज
- बांध: ईसरदा और डंगरी में
- कृत्रिम जलाशय: अजमेर और अलवर में
- बीसलपुर बांध की जल क्षमता में 0.50 मीटर की वृद्धि
नवनेरा बैराज का कार्य पूर्ण
कोटा जिले में कालीसिंध नदी पर नवनेरा बैराज का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, जिसकी क्षमता 196.22 एमसीएम है। अब नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना के तहत तीन चरणों में कार्य प्रगति पर है।
परियोजना के लाभ
2.21 लाख हेक्टेयर नए सिंचित क्षेत्र का विकास
1.52 लाख हेक्टेयर मौजूदा सिंचित क्षेत्र का पुनर्स्थापन
उद्योगों के लिए जल उपभोग की व्यवस्था
मुआवजा प्रक्रिया पारदर्शी हो
लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी निर्देश दिया कि चंबल नदी की दोनों मुख्य नहरों और कमांड एरिया की ड्रेनों की मिट्टी की सफाई शीघ्र पूर्ण की जाए। उन्होंने कहा कि डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों को समुचित मुआवजा देने की प्रक्रिया पारदर्शी और संवेदनशील होनी चाहिए।