सोनचिरैया साड़ी: कोटा से कान्स तक का सफर

कोटा साड़ी का अंतर्राष्ट्रीय जलवा : सोनचिरैया साड़ी ने जीता विश्व का दिल

—कोटा की प्रीति सिंह पारीक ने कोटा ज़री साड़ी को दिलाई नई पहचान
—कोटा की ज़री साड़ी कान्स फिल्म फेस्टिवल में चमकी
—2 से 3 माह में बनती है एक साड़ी, सोने व चांदी के तारों से होता काम
—टीना अंबानी ने अनंत-राधिका की शादी में पहनी थी सोनचिरैया कोटा साड़ी
— महारानी अम्बिका राजे,मायूरभंज की महारानी राशमी राजे ने की शोभा में चारचांद लगाया कोटा जरी ने
डिजिटल डेक्स। राहुल पारीक
कोटा। हर वर्ष जब कान्स फिल्म फेस्टिवल की चकाचौंध दुनिया भर के सिनेमा प्रेमियों और कलाकारों को आकर्षित करती है, तब यह केवल फिल्मों का मंच नहीं रहता — यह सांस्कृतिक संवाद और वैश्विक सौंदर्यबोध का भी प्रतीक बन जाता है। ऐसे में, जब एक भारतीय हस्तशिल्प परिधान इस रेड कार्पेट पर अपनी गरिमा से सबका ध्यान खींचे, तो यह केवल एक फैशन स्टेटमेंट नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक वक्तव्य बन जाता है।
कोटा ज़री साड़ी ने भी कोटा का नाम विश्व पटल पर ला दिया है। कोटा की प्रीति सिंह पारीक की बनी ज़री साड़ी की चमक फ्रांस में फैली है। फ्रांस में आयोजित कान्स फिल्म फेस्टिवल में मास्टरकार्ड के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर राजा राजमन्नार की पत्नी ज्योति राजामन्नार ने कोटा ज़री साड़ी पहनकर रेड कार्पेट पर कोटा की ज़री साड़ी की चमक को बढ़ाया है।

कोटा ज़री ने बिखेरी चमक

सोनचिरैया की सह-संस्थापक प्रीति सिंह पारीक ने बताया कि “कोटा की पारंपरिक ज़री साड़ी कान्स फिल्म फेस्टिवल के आकर्षण का केंद्र बनी। इन साड़ियों की खूबसूरती, बुनाई और उस पर किया गया जरी कार्य इतना सूक्ष्म और भव्य है कि हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया।”
प्रीति ने यह भी साझा किया कि इससे पहले महारानी राधिका राजे गायकवाड़, महारानी अम्बिका राजे,मायूरभंज की महारानी राशमी राजे,टीना अम्बानी ने अनंत-राधिका की शादी में और बॉट के संस्थापक अमन गुप्ता की पत्नी प्रिया गुप्ता जैसे प्रतिष्ठित नाम भी कोटा ज़री साड़ी की शोभा बढ़ा चुके हैं।

कांस में दो दिन चमकी कोटा जरी साडी
कान्स फिल्म फेस्टिवल—2025 में ज्योति राजामन्नार ने दो दिनों में सोनचिरैया की विशिष्ट कोटा ज़री साड़ियों को पहनकर भारतीय संस्कृति और शिल्पकला की अद्भुत प्रस्तुति दी। पहले दिन उन्होंने मुगल युग से प्रेरित एकल टिश्यू साड़ी पहनी, जिसमें शाही भव्यता और बारीक बुनाई की झलक थी। यह साड़ी बीते युग की गरिमा और भारतीय कारीगरी का प्रतीक बनी। दूसरे दिन उन्होंने संस्थापक प्रीति सिंह पारीक के सुझाव पर गहरे भूरे रंग की मेटैलिक ज़री साड़ी पहनी, जिसमें भारतीय वनस्पति, फूलों और फ्लेमिंगो से प्रेरित डिजाइन थे। डबल टिश्यू तकनीक से बनी इस साड़ी में असली सोने-चांदी के धागों का उपयोग हुआ था, जिसे तैयार करने में तीन महीने का समय लगा। इस साड़ी को सब्यासाची के आभूषणों और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के हैंडबैग्स के साथ स्टाइल किया गया, जिसने पारंपरिक और वैश्विक फैशन का सुंदर मेल प्रस्तुत किया। इन प्रस्तुतियों ने भारतीय कारीगरी को वैश्विक मंच पर गौरवपूर्ण पहचान दिलाई और यह सिद्ध किया कि भारतीय वस्त्र परंपरा आधुनिक फैशन में भी उतनी ही प्रासंगिक और प्रभावशाली है।

ज़री साड़ी की आत्मा है कैथून
हैंडक्राफ्टेड वीमेन लग्जरी क्लोथिंग ब्रांड, सोनचिरैया की स्थापना वर्ष 2017 में की गई थी। वर्ष 2020 में कैथून के विशेषज्ञ शिल्पकारों से मुलाकात के बाद उन्होंने ज़री की कला को पुनरुद्धार करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट शुरू किया।पारंपरिक बुनाई, शिल्प कौशल और रचनात्मक कला से बनी ज़री साड़ी कैथून के शिल्पकारों का विशेष हुनर है। जरदोज़ी की साड़ी को बनाने में 3 माह से भी अधिक का समय लगता है। कैथून के कुशल कारीगर इस कार्य में सदियों से लगे हुए हैं। हम गुम होती कला को पुनर्जीवित करना का कार्य कर रहे है। 2000 से अधिक कारीगरों की मेहनत, और सांस्कृतिक मूल्यों का संवाहक है।
“ज़री बुनाई को उसके पारंपरिक स्वरूप में पुनर्जीवित करना, और दुनिया को यह दिखाना कि कैथून की गलियों में आज भी सदियों पुरानी कला सांस ले रही है। यहां के कारीगरों को ज़री की पारंपरिक बुनाई में महारत हासिल है। जब यह साड़ी तैयार होती है, तो वह एक परिधान नहीं बल्कि एक कलात्मक विरासत बन जाती है। जब कोटा की साड़ी वैश्विक मंच पर चमकी है, तो उसे बनाने वाले कारीगरों को भी अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है।”

यह रखती है विशेषता
ज़री साड़ी एक प्रकार की परंपरागत बुनाई शैली है जिसमें सोने और चांदी के तारों से डिजाइन बुने जाते हैं। जरी के धागों से हाथ से डिजाइन बुने जाते हैं। यह एक धीमी और कठिन प्रक्रिया है जिसमें बहुत कौशल और धैर्य की आवश्यकता होती है।
जरी कोटा एक शानदार कपड़ा होता है, जो शुद्ध रेशम और सूती धागों को शुद्ध सोने और चांदी के ज़री धागे के साथ मिलाकर बनाया जाता है। ज़री साड़ियों में आमतौर पर फूलों, पत्तियों, पेड़ों आदि के प्राकृतिक मोटिफ बुने होते हैं। इनमें जटिल बेल के आकार के और जालीदार डिज़ाइन भी शामिल किए जाते हैं।
प्राचीन परंपराओं के प्रति सच्चे रहते हुए, बुनकर शुद्ध सोने और चांदी की ज़री का उपयोग करते हैं। इसकी बुनावट बहुत नाजुक होती है। इन साड़ियों की बारीक कढ़ाई और जटिल डिज़ाइनें उन्हें अनूठा आकर्षण प्रदान करती हैं। इन साड़ियों की परंपरागत शैली और आधुनिक डिज़ाइनों का संगम उनकी सुंदरता को और भी निखार देता है।
हस्तशिल्प के रूप में, ज़री भारतीय हस्तकला और रंगीन विरासत को पूरी तरह से प्रदर्शित करती है। ये साड़ियां आज भी शाही शान और भव्यता का प्रतीक हैं। सोने और चांदी के धागों से बुनी गई जरी साड़ियां चमकदार और निखरी हुई दिखती हैं। ये साड़ियां आपको किसी भी समारोह में सबका ध्यान अपनी ओर खींचने में मदद कर सकती हैं।

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