नम आँखों से नेत्रदानी परिवार ने स्वीकार किया सम्मान

हाड़ौती के 82 नेत्रदानी परिवारों को मिला भावपूर्ण सम्मान
— भारत में लगभग 1.8 करोड़ लोग अंधता या दृष्टिबाधिता से पीड़ित, प्रतिवर्ष आवश्यक 1.5 लाख कॉर्निया की 50–55 हजार ही उपलब्ध

कोटा। नेत्रदान जैसे दिव्य कार्य में सहभागी बने दिवंगत महापुरुषों को श्रद्धांजलि और उनके परिजनों के प्रति समाज की कृतज्ञता प्रकट करने के उद्देश्य से आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान कोटा चेप्टर द्वारा रविवार को रोटरी बिनानी सभागार, शॉपिंग सेंटर में भव्य “नेत्रदानी परिवार सम्मान समारोह” का आयोजन किया गया।
अध्यक्ष के के कंजोलिया ने बताया कि समारोह में हाड़ौती क्षेत्र के 82 नेत्रदानी परिवारों का पुष्पमालाओं, शॉल, दुपट्टा और प्रशस्ति पत्रों से सम्मान किया गया। मंच से जब सम्मान की घोषणा होती, तो सभागार में सन्नाटा छा जाता और जैसे ही नेत्रदानी का नाम पुकारा जाता, वहां उपस्थित परिजन की नम आंखें पूरे वातावरण को भावविभोर कर देतीं।
सचिव सुरेश सेडवाल ने बताया कि कार्यक्रम नेत्रदान जागरूकता पोस्टर का विमोचन किया गया और डा.सुरेश पाण्डेय द्वार डिजिटल प्रजेंटेशन के माध्यम से डिजिटल प्रेजेंटेशन के माध्यम से नेत्रदान की वैज्ञानिक प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्य उर्जा मंत्री हीरालाल नागर रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक संदीप शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि मेडिकल कॉलेज प्रिसिंपल संगीता सक्सेना रही। जिला उद्योग केन्द्र के हरिमोहन शर्मा,रोटरी क्लब अध्यक्ष मुकेश व्यास,सचिव धनश्याम मूंदडा,जीडी पटेल,शांति भण्डारी,प्रशांत भण्डारी,इ.वी के जैन,आर सी सहानी,सहित कई लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में रोटरी क्लब अध्यक्ष मुकेश व्यास व अन्यों वक्ताओ ने भी अपने विचार व्यक्ति किए।अंत सचिव सुरेश सेडवाल ने सबका आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन गोपाल सोनी एवं डा.अमित राठौड़ ने किया। कार्यक्रम में कार्यकारिणी सदस्य जीडी ,डा.अमित राठौड़,नीरजा श्रीवास्तव,जयंत उपाध्याय टेक्निशियन टींकू ओझा, सहित कई लोग मौजूद रहे।

समर्पण की मिसाल बना कोटा चैप्टर
आई बैंक सोसायटी के कोटा चेप्टर के अध्यक्ष डॉ. के. के. कंजोलिया ने जानकारी दी कि आई बैंक सोसाइटी 2011 से संचालित है। संस्था अब तक कोटा संभाग में 2027 कॉर्निया प्राप्त कर चुकी है, जिनमें से 1141 कॉर्निया का सफल प्रत्यारोपण किया गया। संस्था का कोर्निया प्रत्यारोपित रेशो 56.73% है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है।आई बैंक सोसायटी,राजस्थान द्वारा वर्ष 2002 से कोर्निया प्रत्यारोपण का कार्य किया जा रहा है उन्होने मई 2025 तक 25570 कॉर्निया प्राप्त किए थे जिसमें से 16369 कॉर्निया प्रत्यारोपित किए जा चुके है,संस्था का कोर्निया प्रत्यारोपण रेशो 64.20 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत 55 प्रतिशत है।अंत में अध्यक्ष डॉ. कंजोलिया ने “कोटा को नेत्रदान नगरी” बनाने का संकल्प दोहराया और नेत्रदानी परिवारों को कृतज्ञता के साथ नमन किया गया।

“यह सिर्फ दान नहीं, जीवन दान है”
आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान, कोटा चैप्टर के इस भावपूर्ण आयोजन में मुख्य अतिथि उर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा,कि “नेत्रदान उच्चतम दान है। इस दान से आप किसी व्यक्ति के अंधेरे जीवन में रंग भर देते हैं।”नेत्रदान एक पुण्य व जीवन दान है संस्था द्वारा 16 हजार से अधिक लोगो के जीवन में रोशनी देना काबिलेतारिफ है। “नेत्रदान न सिर्फ़ किसी के जीवन में प्रकाश लाता है, बल्कि यह उस व्यक्ति को अमरता प्रदान करता है जिसने मृत्यु के बाद भी किसी को देखने की शक्ति दी।

सर्वश्रेष्ठ दान
विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि देहदान और नेत्रदान जैसे कार्य समाज में सबसे श्रेष्ठ माने गए हैं। जब कोई व्यक्ति इस धरती से चला जाता है, तब भी वह किसी और की दुनिया रोशन कर सकता है, इससे बड़ा कोई योगदान नहीं हो सकता। हम सबको मिलकर इस जनजागरण को अभियान का रूप देना होगा।”

एक कोर्निया से 4 जीवन रोशन
मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल ने संगीता सक्सेना ने कहा कि नेत्रदान केवल दृष्टिहीन को आंखें नहीं देता, यह एक नई सुबह की उम्मीद है। एक कॉर्निया से चार व्यक्त्यिों के जीवन में रोशनी दी जा सकती है।विज्ञान और तकनीक के माध्यम से अब एक दान की गई कॉर्निया से चार अलग-अलग लोगों की जिंदगी रोशन की जा सकती है। आधुनिक चिकित्सकीय तकनीक में कॉर्निया को चार भागों में विभाजित कर – एपिथीलियम, स्ट्रोमा, एंडोथीलियम और लिम्बल स्टेम सेल्स – अलग-अलग जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।

प्रतिवर्ष .5 लाख कॉर्निया की आवश्यकता

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेश पांडेय ने अपने डिजिटल प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि कॉर्निया प्रत्यारोपण के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 1.8 करोड़ लोग अंधता या दृष्टिबाधिता से पीड़ित हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 25.3 करोड़ तक पहुँच चुका है। इनमें से हर मिनट एक बच्चा और हर पाँच सेकंड में एक वयस्क दृष्टि खो रहा है — यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि तत्काल जागरूकता और समाधान की माँग करती है।भारत में अंधता के प्रमुख कारणों में मोतियाबिंद (51%), ग्लूकोमा (8%), अपवर्तक दोष (21%), रेटिनल बीमारियाँ, और कॉर्नियल ब्लाइंडनेस (3%) शामिल हैं। विशेष रूप से कॉर्नियल ब्लाइंडनेस कुल अंधता का भले ही 1% हो, लेकिन इसका सामाजिक और भावनात्मक प्रभाव अत्यधिक है। लगभग 1.2 लाख लोग पूर्ण कॉर्नियल अंधता से जूझ रहे हैं, जबकि 10 लाख से अधिक लोगों की दोनों आँखों की कॉर्निया प्रभावित है। इसके अतिरिक्त, 68 लाख लोगों की एक आँख की कॉर्निया क्षतिग्रस्त है, जिससे उनकी दृष्टि आंशिक रूप से बाधित है।हर साल भारत में 30–35 हजार नए कॉर्नियल अंधता के मामले सामने आते हैं, जिनमें से लगभग 50% रोगियों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट के जरिए दृष्टि वापस मिल सकती है। फिर भी, प्रतिवर्ष आवश्यक 1.5 लाख कॉर्निया की तुलना में मात्र 50–55 हजार ही उपलब्ध हो पाते हैं।डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि एक नेत्रदान दो व्यक्तियों को दृष्टि का उपहार दे सकता है और आधुनिक तकनीक के अनुसार, एक कॉर्निया से चार लोगों की दृष्टि को बेहतर किया जा सकता है। मृत्यु के 4–6 घंटे के भीतर कॉर्निया का निष्कलन किया जा सकता है।

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