NEET 2025: 22 लाख सपनों की कहानी में छुपे राज

मेडिकल सीट्स की होड़ में आधे से ज्यादा अभ्यर्थी हुए फेल, बेटियों ने मारी बाजी

अखिलेश दीक्षित
रीजनल डायरेक्टर आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड

कोटा। देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET-UG 2025 के परिणाम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि डॉक्टर बनने का सपना देखना आसान है, लेकिन उसे साकार करना अत्यंत कठिन। 4 मई को संपन्न हुई इस परीक्षा का परिणाम 14 जून को दोपहर जारी हुआ, जिसने लाखों परिवारों में खुशी और निराशा के मिले-जुले जज्बात पैदा किए।परीक्षा 13 भाषाओं में आयोजित की गई, जिसमें विदेशों के 14 शहरों सहित भारत के 552 शहरों के 5,468 केंद्रों पर परीक्षार्थी बैठे।जहां एक ओर परीक्षा में बैठने वालों की संख्या वर्ष दर वर्ष तेजी से बढ़ रही है, वहीं अनुपस्थित रहने वाले छात्रों का प्रतिशत 2019 में 7% से घटकर 2025 में मात्र 2.8% रह गया है — यह इस परीक्षा की गंभीरता और छात्रों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

विदेशों तक पहुंची डॉक्टर बनने की चाह
इस वर्ष की NEET परीक्षा का विस्तार इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है। 13 भाषाओं में आयोजित यह परीक्षा न केवल देश के 552 शहरों में बल्कि विदेशों के 14 शहरों में भी आयोजित हुई। कुल 5468 केंद्रों पर 22 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक रिकॉर्ड है।आकाश एजुकेशनल सर्विसेज के रीजनल डायरेक्टर अखिलेश दीक्षित के अनुसार, “पिछले 7 वर्षों में अभ्यर्थियों की संख्या 7.5 लाख बढ़ गई है। परीक्षा में अनुपस्थिति जो 2019 में 7 प्रतिशत से अधिक थी, 2025 में घटकर मात्र 2.8 प्रतिशत रह गई है।”

हिंदी माध्यम की बढ़ती लोकप्रियता
भाषा के चुनाव में एक दिलचस्प ट्रेंड देखने को मिला है। जहां अंग्रेजी माध्यम चुनने वाले अभ्यर्थी 6 लाख बढ़े, वहीं अन्य भाषाओं में केवल 4 लाख की वृद्धि हुई। हिंदी माध्यम चुनने वाले छात्रों की संख्या 2019 में 1.79 लाख से बढ़कर 2025 में 3.28 लाख हो गई। यह आंकड़ा उल्लेखनीय है क्योंकि देश में हिंदी बोलने वालों की जनसंख्या लगभग 50 करोड़ है।
22 लाख का भ्रम: केवल आधे अभ्यर्थी गंभीर
परीक्षा के परिणामों का विश्लेषण चौंकाने वाला है। 22 लाख बच्चों में से 11 लाख के कुल अंक 144 से भी कम आए हैं। दीक्षित जी का कहना है, “2025 का प्रश्नपत्र कठिन जरूर था, पर इतना भी नहीं कि 50% बच्चे 20% स्कोर भी न कर सकें। यह स्पष्ट करता है कि आधे से अधिक अभ्यर्थियों की सहभागिता गंभीरता के स्तर की नहीं थी।”

राज्यवार सफलता दर में बड़ा अंतर
केवल 12 लाख अभ्यर्थी क्वालीफाइंग स्कोर कर सके। राज्यवार विश्लेषण में दिलचस्प तस्वीर सामने आई है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश: लगभग 50% क्वालिफिकेशन दर,महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना: 58% क्वालिफिकेशन दर,पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु: 57% क्वालिफिकेशन दर,दिल्ली: 67% क्वालिफिकेशन दर
राजस्थान: 68% क्वालिफिकेशन दर (सर्वोच्च) राजस्थान की उपलब्धि विशेष रूप से प्रशंसनीय है क्योंकि यहां लगभग 70% बच्चे कैरियर के लिए विज्ञान का चयन नहीं करते।

बेटियों का शानदार प्रदर्शन
एनटीए की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस वर्ष लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है। 3.5 लाख अधिक लड़कियां परीक्षा में शामिल हुईं और 2 लाख 10 हजार अधिक लड़कियां क्वालिफाई हुईं। हालांकि टॉप 10 में केवल 1 और टॉप 100 में मात्र 15 लड़कियां स्थान बना सकीं

कट-ऑफ का नया समीकरण
इस वर्ष 51,511 अभ्यर्थियों के अंक 501 या उससे अधिक आए हैं। 502 अंक पाने वाले अभ्यर्थी की ऑल इंडिया रैंक 50,000 आई है। पिछले वर्ष जहां 652 अंक लाने वाले को सरकारी मेडिकल कॉलेज मिला था, इस बार ऑल इंडिया कोटा से सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए आवश्यक न्यूनतम अंक 525 के आसपास रहने की संभावना है।

असफल अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणादायक मार्गदर्शन
रीजनल डायरेक्टर अखिलेश दीक्षित का सुझाव है कि जो अभ्यर्थी इस बार सफल नहीं हुए, उन्हें विचार करना चाहिए और स्वयं से प्रश्न करना चाहिए कि “डॉक्टर बनने का सपना आखिर है किसका? यदि यह बच्चे की खुद की पसंद है, तो ही आगे बढ़ना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में अच्छे प्रदर्शन की बात बेमानी है यदि यह अंतरात्मा की आवाज के अनुरूप न हो।”उनके अनुसार असफलता के दो मुख्य कारण है। विद्यार्थीयों की मेहनत में कमी थी समय सीमा के अंदर काम पूरा न कर सके और तैयारी की रणनीति में खामी रही सही मार्गदर्शन का अभाव साफ था।

सफलता के सूत्र
दीक्षित जी के अनुसार, “श्रीकृष्ण, द्रोणाचार्य, शकुनि, चाणक्य – इन सबके दिशा-निर्देश अलग-अलग थे। इस साल के परिणाम देखिए, वही संस्थान, वही शिक्षक सफल दिखेंगे जो अपने उद्देश्यों को लेकर गंभीर थे।”
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के विद्यार्थीयो को अपनी कमियों को स्वीकार करने की क्षमता,कमियों को सुधारने की दृढ़ प्रतिज्ञा, अपने हक की पहचान, 1-2 वर्षों के लिए विचलन से बचने की क्षमता रखनी होगी।

सपने और वास्तविकता
“कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता, बशर्ते कि हम खुद को उस स्तर तक तैयार कर सकें” – यह संदेश उन लाखों युवाओं के लिए है जो अभी भी अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। NEET 2025 के परिणाम केवल आंकड़े नहीं हैं, बल्कि वे हमारी शिक्षा व्यवस्था, सामाजिक अपेक्षाओं और युवाओं के सपनों की जटिल कहानी कहते हैं। जब तक हमारी तैयारी का स्तर आवश्यकता के अनुरूप न हो, निराशा का कोई कारण नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!