विनम्रता ही वास्तविक साधना — विभाश्री माता जी

विज्ञान नगर जैन मंदिर में चातुर्मास उत्सव

कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर इन दिनों अध्यात्म, साधना और आत्मचिंतन का केंद्र बना हुआ है। परम पूज्य आचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज एवं आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज की पावन सन्निधि, गणिनी प्रमुख आर्यिका श्री 105 विभाश्री माताजी तथा आर्यिका श्री 105 विनयश्री माताजी (संघ सहित) के निर्देशन में 13 पिच्छियों का भव्य चातुर्मास उत्सव धार्मिक गरिमा और अनुशासन के साथ संपन्न हो रहा है।
अध्यक्ष राजमल पाटौदी एवं महामंत्री अनिल जैन ठौरा ने बताया कि दीप प्रज्वलन एवं शास्त्र भेंट का पुण्य अवसर श्रावक श्रेष्ठि परिवार कैलाश, विकास, आगम जैन (मारवाड़ा परिवार, महावीर नगर-द्वितीय, कोटा) को प्राप्त हुआ।
गणिनी प्रमुख आर्यिका श्री 105 विभाश्री माताजी ने तत्वार्थ सूत्र कक्षा में प्रवचन देते हुए कहा कि अपनी कमजोरियों को विनम्रता से स्वीकार करना और जीवन में झुकाव लाना ही वास्तविक साधना है। ऐसे साधक एक दिन स्वर्ग एवं सिद्धालय में जाकर विराजमान होते हैं। उन्होंने कहा कि संसार में ऐसी कोई कामना नहीं है जिसे भगवान की भक्ति से पूर्ण न किया जा सके। जहां भक्ति है, वहां दुख, संकट और भय का कोई स्थान नहीं रहता।
कार्यक्रम का संचालन पी.के. हरसोरा ने किया। इस अवसर पर धर्मसभा में राजेंद्र बज, जे.के. जैन, राकेश पाटौदी, दीपक जैन, ताराचंद बड़ला, इंद्रकुमार जैन, देवेंद्र गंगवाल, सचिन सैठी, महावीर दलवासा, अशोक कटारिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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