कोटा। श्री माहेश्वरी समाज कोटा से संबद्ध माहेश्वरी महिला मंडल की ओर से माहेश्वरी भवन में आयोजित “नानी बाई रो मायरो” कथा के दूसरे दिन समाजजनों का उत्साह बारिश को भी मात देता रहा। कथावाचक आचार्य राधाचरण जी महाराज ने अपने मुखारविंद से नरसी मेहता चरित्र और मीरा बाई चरित्र का वर्णन करते हुए भक्ति की शक्ति और प्रभु पर अटूट विश्वास का महत्व बताया।कार्यक्रम में महिला मंडल की अध्यक्ष प्रीति राठी और सचिव सरिता मोहता ने बताया कि मुख्य यजमान के रूप में विष्णु साबू परिवार, बजरंग बाबू परिवार एवं गोवर्धन खुवाल परिवार शामिल रहे। इस अवसर पर अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा पश्चिमांचल के उपसभापति राजेश कृष्ण और सूरज बिरला का सानिध्य समाजजनों को प्राप्त हुआ।माहेश्वरी महिला मण्डल की ओर से कृष्ण भक्ति से ओतप्रोत झांकियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। नेहा हल्दिया ने मीरा बाई, नेहा काल्या ने नसीया जी, वहीं शिवांक, लाव्यांश और ऋतिक ने कृष्ण का रूप धारण कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भावपूर्ण कथा का सार
आचार्य जी ने “नरसी की हुंडी” का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब भक्ति निस्वार्थ और सच्ची होती है, तो भगवान स्वयं भक्त की रक्षा के लिए उपस्थित होते हैं। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए ऐसे धार्मिक आयोजनों की आवश्यकता है। कथा में नरसी मेहता की परीक्षा, समाज द्वारा दी गई चुनौतियाँ और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा भक्त-रक्षा का वचन मुख्य संदेश रहा। साथ ही मीरा चरित्र के माध्यम से यह बताया गया कि सामाजिक विरोध और तिरस्कार के बावजूद दृढ़ भक्ति व्यक्ति को हर मुश्किल से पार करा देती है। आचार्य राधाचरण महाराज ने कहा कि नरसी मेहता की कथा में मीरा चरित्र की भांति भक्तिपूर्ण निष्ठा, संघर्ष, और प्रभु के प्रति आत्मसमर्पण का भाव गूंजता है। दोनों की भक्ति का आशय प्रेम, विश्वास और आत्मसमर्पण है, जो उन्हें सामाजिक अधिकार, जाति-वर्ग और परिवारिक विरोध के बावजूद श्रद्धा के पथ पर अग्रसरित करता है।